15 नवंबर, 2009

दीपक


देश कहीं यदि घर बन जाये
और हमें मिले दीपक का जीवन
तब तम को हम दूर भगायें
दीपक से नश्वर हो जायें
पुनः देश को घर सा सजायें
दीवाली हर रोज मनायें ।

आशा

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूबसूरत और आशावान कविता । इसी तरह सबको राह दिखाती रहिये ।

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