01 जून, 2010

आत्म संतुष्टि

चतरू नाम का एक किसान था |उसे किसी प्रकार की कोई चिंता न थी |तीनों बेटियांअपनी अपनी ससुराल में खुश थीं |
उसके कोई बेटा नहीं था पर उसका भी कोई दुःख उसे न था |वह अपनी पत्नी के साथ प्रसन्नता पूर्वक रहता था |
एक दिन अचानक उसकी पत्नी जमुना बीमार पड़ गई |बहुत इलाज करवाया पर चतरू उसे बचा न सका | वह बहुत अकेला महसूस करने लगा |हर समय अपनी पत्नी की यादों में खोया रहता |समय के साथ उसने भी अकेले रहने का अभ्यास कर लिया |एक दिन उसने सोचा कि क्यों न वह अपनी बेटियों से मिल आये |इसी बहाने बच्चों से मिलना भी हो जायेगा और उसका मन भी बहल जाएगा |
सबसे पहले वह अपनी बड़ीबेटी ग्रीष्म के घर गया |उसका विवाह एक कृषक से हुआ था |उस साल पानी की कुछ
कमी थी |जल संकट से कैसे निपटें सब इसी सोच विचार में ब्यस्त थे |जब चतुरू चलने लगा उसने अपनी बेटी से पूंछा कि वह जब तीर्थ करने जाए तब उसके लिए क्या मांगे |बेटी बोली ,"पिताजी आपको तो पता ही है बिना पानी के सारी खेती सूख जाती है |आप इश्यर से भरपूर बारिश के लिए प्रार्थना करना "|
चतरू अपनी दूसरी बेटी शशी के घर गया |वह अपने पिता से मिल कर बहुत खुश हुई |शशी का विवाह एक कुम्हार से
हुआ था |वे दौनों मटके बनाते ,धुप में सुखाते और फिर पका कर बाजार में बेचते थे |तीन माह कब निकल गए पता ही न चला |चलते समय शशी से पूंछाकि उसे क्या चाहिए |वह बोली ,"पिताजी जब आप भगवन से प्रार्थना करें मेरे लिए
एक ही बात मांगना ,चाहे जो हो पानी न बरसे |पानी से मेरा बहुत नुकसान हो जाता है |"
चतरू सोच विचार करता हुआ अपनी तीसरी बेटी वर्षा के पास पहुंचा |वह बहुत साधारण स्थिती में रहती थी |पति पत्नी
दौनों काम पर जाते थे तब जा कर घर चलता था |कुछ दिन रुक कर चतरू ने तीर्थ जाने की इच्छा प्रगट की ||
जब वह चलने लगा बोला ,"बेटी मैं तीर्थ करने जा रहा हूं ,तेरे लिए भगवन से क्या मांगूं |" बेटी बोली ,
"पिताजी इश्वर की कृपा से आवश्यकता पूरी हो इतना सब कुछ है मेरे पास |मुझे और अधिक कि कोइ आवश्यकता नहीं है |
आप तो ईश्वर से सब के कल्याण के लिए कामना करना |"अपनी बेटी कि बात सुनकर चतरू को बहुत प्रसन्नता हुई |वह प्रसन्न
मन तीर्थ यात्रा पर चल दिया |
सच है आत्म संतुष्टि से बढ़ कर दुनिया में कुछ नहीं होता |इश्वर सब देखता है |

आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. namste asha ji..........
    pehli bar aapki post padhi hai.
    aachhi lagi......dhanywaad

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  2. सार्थक रचना अच्छा सीख देता प्रसंग

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  3. बहुत सुन्दर और चिंतनीय प्रेरक-प्रसंग ,,,,,ब्लॉग में कथा का नयापन अच्छा लगा

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  4. बहुत बढ़िया कहानी ! लेखन का यह नया स्वाद बहुत अच्छा लगा ! आभार !

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  5. सभी ब्लोगेर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया .संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।

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