उडाती अफवाहें बेमतलब
तुमने शायद नहीं सुनीं
जब सामने से निकलीं
लोगों ने कुछ सोचा और |
मन ही मन कल्पना की
कोइ सन्देश दिया होगा
तुम मौन थीं तो क्या हुआ
आँखों से व्यक्त किया होगा |
कुछ मन चले छिप छिप कर
सड़क किनारे खड़े हुए
इशारों से बतियाते रहते
छींटाकशी से बाज न आते |
हम तुम तो कभी भी
आपस में रूबरू न हुए
ना कभी आँखें हुईं चार
ना ही उपजा कभी प्यार |
फिर भी ऐसा क्यूँ ?
मनचलों बेरोजगारों की
शायद फितरत है यही
कटाक्ष कर प्रसन्न होने की |
मन ही मन ग्लानी होती है
उनकी सोच कितनी छोटी है
यदि अफवाहें तुम तक पहुंची
तुम भी क्या वही सोचोगी
जो मैं सोच रहा हूँ ?
आशा
ना कभी आँखें हुईं चार
ना ही उपजा कभी प्यार |
फिर भी ऐसा क्यूँ ?
मनचलों बेरोजगारों की
शायद फितरत है यही
कटाक्ष कर प्रसन्न होने की |
मन ही मन ग्लानी होती है
उनकी सोच कितनी छोटी है
यदि अफवाहें तुम तक पहुंची
तुम भी क्या वही सोचोगी
जो मैं सोच रहा हूँ ?
आशा
यदि अफवाहें तुम तक पहुंची
जवाब देंहटाएंतुम भी क्या वही सोचोगी
जो मैं सोच रहा हूँ ?
अफवाहें मानस को प्रभावित तो करती ही हैं.
इसलिये अच्छा प्रश्न है यह.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार जी.
कभी कभी ये अफवाहें कुछ लोगों के नीरस जीवन को सरस बना जाती हैं ! ये जीवन की अनिवार्यता की तरह होती हैं और शायद ही कोई इनसे बच पाता हो ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंमन ही मन ग्लानी होती है
जवाब देंहटाएंउनकी सोच कितनी छोटी है
यदि अफवाहें तुम तक पहुंची
तुम भी क्या वही सोचोगी
जो मैं सोच रहा हूँ ?
वाह आशा जी बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति सच में कभी-कभी यह अफवाहें जीवन को रस से भर देती हैं। जिनसे बचना नामुमुकिन है साधना जी की बात से सहमत हूँ :)
मन ही मन ग्लानी होती है
जवाब देंहटाएंउनकी सोच कितनी छोटी है
यदि अफवाहें तुम तक पहुंची
तुम भी क्या वही सोचोगी
जो मैं सोच रहा हूँ ?मैं भी सहमत हूँ आपसे......
सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग 'बेसुरम' और उसकी प्रथम पोस्ट 'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...' आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करें
sahmat hona padega....:)
जवाब देंहटाएंbehtareen abhivyakti..!
अफवाह के सन्दर्भ में छुपा हुआ जीवन -दर्शन अबूझ पहेली ही है..
जवाब देंहटाएंBhavnaao ko badi khoobsoorti se piroya hai
जवाब देंहटाएंकल 06/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
bahut sundar evam sarthak.
जवाब देंहटाएंajkal ye to aam ho gaya hai.
aabhaar!
bahut khub...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता आशा जी...
जवाब देंहटाएंकान का कच्चा होना बड़ी जटिलताएं पैदा करता है जीवन में..
सादर.
अफवाहें जीवन को रस से भर देती हैं, अफवाह के सन्दर्भ में सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक रचना.एक गहन चिंतन सहजता से कहा गया.
जवाब देंहटाएंसार्थक खूबसूरत अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
sartha or behtarin abhivykti...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया ....मन में उठी आशंका....को लिख दिया आपने
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