है मनोकामना
हर उस पल को जीने की
जब होते थे साथ
कोई तीसरा नहीं
एक अजीब सा अहसास
अब मेरा पीछा करता
ले आता समक्ष तेरे
और हो जाती
मग्न तुझमें |
मुस्कान तेरी
बनती बैसाखी
मेरे अंतर मन की
मैं खो जाती तुझ में
और तेरी यादों में
बीते पलों के वादों में|
भर जाती स्फूर्ति से
होती व्यस्त वर्तमान में
ओढे गए कर्तव्यों में |
आशा
हर उस पल को जीने की
जब होते थे साथ
कोई तीसरा नहीं
एक अजीब सा अहसास
अब मेरा पीछा करता
ले आता समक्ष तेरे
और हो जाती
मग्न तुझमें |
मुस्कान तेरी
बनती बैसाखी
मेरे अंतर मन की
मैं खो जाती तुझ में
और तेरी यादों में
बीते पलों के वादों में|
भर जाती स्फूर्ति से
होती व्यस्त वर्तमान में
ओढे गए कर्तव्यों में |
आशा
कोमल भावनाओं को अभिव्यक्ति देती आत्मीय सी रचना ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद साधना
हटाएंवाह ,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
टिप्पणी हेतु धन्यवाद सतीश जी
हटाएंउत्तम रचना . आपकी रचना को " हिंदी ब्लोगर्स चौपाल """http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/"> {शुक्रवार} 4/10/2013 मैं शामिल किया गया हैं ताकि आपकी इस उत्तम रचना को अधिक से अधिक लोग पढ़ पाए ...
जवाब देंहटाएंकृपया आप भी अवलोकनार्थ पधारे .... प्रणाम
सूचना हेतु धन्यवाद नीलिमा जी
हटाएंसुंदर मनोकामना............
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अरुण जी
जवाब देंहटाएंbahut sundar manokaamna .. badhai
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीना जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रमा जी
हटाएंधन्यवाद राजीव जी
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