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17 सितंबर, 2014
रीती आँखें
निगाहेंयार
का
करम देखिये
भटकाव झेलना
सिखा रहे हैं |
रुसवाई का है सबब ऐसा
ना कोई गिला
ना शिकवा शिकायत
दूर होते जा रहे हैं ||
एक कतरा भी
आंसुओं का न टपका
रीती आँखों से
निहार रहे हैं |
दीन दुनिया से
दूर बहुत
मानो जुदाई का
जश्न मना रहे हैं |
आशा
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