18 नवंबर, 2014

बीते दिन लौट नहीं पाए



बीते दिन लौट नहीं पाए
पर दृश्य बदलते गए
मिश्रे तो वही रहे
पर उन्मान बदलते रहे  
कुछ हादसों ने बिना बात
जीवन का रुख ऐसा मोड़ा
दिल तो कभी मिले ही नहीं
अब जीवन भी दूभर हुआ
अलगाव ने सर उठाया
साथ भी गवारा न हुआ
जल की धार न बदली
तट बदलते गए
ना मिलना था न मिले कभी
दूरियां बढ़ती गईं
कच्ची सडकों पर चल न सके
सपाट सड़क से दूर रहे
मीठे मीठे जो स्वप्न बुने थे
अनजाने में खो गए
बीते दिन लौट नहीं पाए
रस्मों ,कसमों  ,वादों में |
आशा



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