नभ जल थल एक साथ
मिलाएं  हाथ
उर्मियाँ सागर की शोभा 
प्रिय  हैं उसे 
हरियाली धरा की साथी 
नयनाभिराम लगे 
उड़ते परिंदे व्योम में 
स्पंदित करें 
वाणी मुखर उनकी 
सुरांजलि दे   
सृष्टि का साम्राज्य अधूरा 
बिना उनके 
मन बंजारा चाहता कुछ पल 
ठहरने को
प्यार के पल जीने की चाह उसे
बाधित करे
प्यार के पल जीने की चाह उसे
बाधित करे
अगर रुका बंजारा न रहेगा 
स्थिर तो होगा |
आशा
स्थिर तो होगा |
आशा
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