Akanksha -asha.blog spot.com
22 अप्रैल, 2015
पारा पारा हो गया
पा कर समक्ष उसे
दिल बल्लियों उछला
बाहों की ऊष्मा पा
वह पारा पारा हो गया |
चाहा तो बहुत था
कि ना आगे बढ़े
पर रुक न सका
अनियंत्रित हुआ
फिर फिसल गया
दिल के हाथों विवश
पारे सा लुढ़कता गया
हाथों से निकल गया
पारा पारा हो गया |
आशा
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