छाई घनघोर घटा  आज 
बादलों ने की गर्जन तर्जन 
किया स्वागत वर्षा  ऋतु का 
नन्हीं जल की बूंदों से |
धरती ने समेटा बाहों में 
उन नन्हें जल कणों को 
आशीष दिया भरपूर उन्हें 
सूखी दरारें मन की भरने पर |
नदी नाले हुए प्रसन्न 
देख बादल  बर्षा आगमन 
बढ़ने लगा जल  स्तर
उनके मन का उत्साह देख |
कृषकों का हर्ष देखना मुश्किल 
अपूर्व सुख का आकलन कठिन 
वे सोये नहीं हुए  हुए व्यस्त 
खेतों को ठीक कर बौनी की तैयारी में |
आम आदमी अपनी खुशी 
कैसे जताए सोचता 
पिकनिक पर जाने का मन बना 
वर्षा का आनंद उठाता |
आशा 
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