ए दिल मुझे बता
क्या तू मेरा  ही था 
जिस के लिए  धड़कता रहा 
वह तो मेरा न था  |
उसने कभी चाहा न था 
प्रेम से बुलाया न था
वह भटका हुआ राही था 
फिर भी तू धड़का |
यह तेरा कैसा न्याय 
बेगाने पर एतवार 
पल भर तो ठहरता 
मुझसे पूंछ लिया होता |
पीछे से तूने वार किया 
मुझे  अब तुझ पर भी 
एतवार  न रहा 
यह तूने क्या किया |
है अब भी यही सोच तेरा 
कुछ भी गलत नहीं था 
तब मेरा मौन ही है उचित 
क्या लाभ  प्रतिक्रया का |
फिर भी यही रहा मन में 
तूने उसे अपनाया 
जो भूल गया सच्चाई   को 
 कभी तो  मेरा  था |
आशा 
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