बांस से बनी बांसुरी
छू कर कान्हां के अधर
बजने लगी मधुर धुन में
डूबी है प्रेम रस में |
सुर गहराई से निकले
सुध बुध भूल गोपियाँ
थिरकने लगीं
खोने लगीं उसी धुन में |
भूली सारे काम काज
बस एक बात ध्यान रही
कान्हां उनके मन में समाए
उन पर जादू कर गए |
वे कान्हां की हो रह गईं
आज भी हैं कर्ण उत्सुक
वही मधुर धुन सुनने को
कान्हां के दर्शन को |
आशा
छू कर कान्हां के अधर
बजने लगी मधुर धुन में
डूबी है प्रेम रस में |
सुर गहराई से निकले
सुध बुध भूल गोपियाँ
थिरकने लगीं
खोने लगीं उसी धुन में |
भूली सारे काम काज
बस एक बात ध्यान रही
कान्हां उनके मन में समाए
उन पर जादू कर गए |
वे कान्हां की हो रह गईं
आज भी हैं कर्ण उत्सुक
वही मधुर धुन सुनने को
कान्हां के दर्शन को |
आशा
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