ये कैसे रिश्ते
राह चलते बने
हरियाली से |
नारी सवल
अवला न समझो
है आधुनिका |
वह सक्षम
निर्भय व साहसी
कमतर हहीं |
वह सक्षम
निर्भय व साहसी
कमतर हहीं |
थी उदास मैं
की पुस्तकों से यारी
उदासी दूर |
तेरी चाहत
बनी पैरों कीबेड़ी
बढ़ने न दे |
आशा
तेरी चाहत
बनी पैरों कीबेड़ी
बढ़ने न दे |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: