ज़िंदगी के हर मोड़ पर
खड़ा है एक प्रहरी
सवाल या निशान लिए
हर प्रश्न चिन्ह रोकता है राह
मन में भभकता गुबार लिए
हर प्रश्न का निर्धारित उत्तर
पर बहुत से अभी भी अनुत्तरित
बहुत उलझन है इन्हें सुलझाने में
प्रयत्न बहुत करती हूँ
पर उदास हो जाती हूँ
जब इन्हें सुलझा नहीं पाती !
इन अनुत्तरित प्रश्नों का हल
कहाँ मिलेगा नहीं जानती
फिर भी प्रयत्न थमते नहीं
मैं चारों ओर से
भँवर जाल में फँस गयी हूँ
और हर प्रश्न में असफल हो रही हूँ !
क्या है कोई मार्ग दर्शक
जो मुझे सही उत्तर तक पहुँचाएगा !
या यूँ ही हार जाऊँगी
नहीं जानती क्या है प्रारब्ध में
फिर भी आशा पर जीवित हूँ !
कोई तो मार्गदर्शक आयेगा
जो सच्ची राह दिखाएगा !
आशा सक्सेना
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