जब कोई अंग अक्सर कहने लगे
रुक रुक रुक रुक
समझ में आये
कहीं कोई अकारण ही
कहीं भी रुक जाए !
कभी परिवर्तन स्थान का होता
कभी परिवर्तन सोच का होता !
कहीं मन में बिखराव होता
तो जीवन के अंधे मोड़ पर
कहीं किसी जगह
केवल ठहराव आता !
मन को इस परिवर्तन की
आदत सी हो गयी है !
दुनिया व्यर्थ सी लगती है
जीवन में सब अकारथ है
कहीं भी कुछ ऐसा नहीं है
जिससे मन जुड़ा हो !
दिल की बगिया
अकारण ही उजड़ने लगी है !
रंग बिरंगे फूलों की क्यारियों में
फूल बेरंग हो गए हैं !
सूख गए हैं !
पर एक अनोखी उड़ान ने
नई दुनिया के द्वार पर
एक नई राह खोली है !
जीवन में हर पल नया है
और इस पल से
इसी मार्ग पर चल पड़ा है !
सुखद है या दुखद
यह तो पता नहीं
पर कुछ तो नया है
जो मन को भाता है !
आशा सक्सेना
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