दशहरा मिलन
की बेला आई
बड़ा था बच्चों को
इंतज़ार इसका
नए कपडे,नए जूते
और मिठाई
पाने को था
बेकरार मन
सबसे बड़ा लालच था
रावण दहन
करने जाने का
वहां पहुँच
राम जी की सवारी
देखने का
दस शीश
क्या सच में
होते रावण के ?
हर बार यही प्रश्न
मन में उठता था
पर किसी के उत्तर से
न होती संतुष्टि
पर दशहरा मैदान जाने की
उत्सुकता कम न होती
रोजाना दिन गिन कर
कटते दिन |
आशा
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