Akanksha -asha.blog spot.com
16 अक्तूबर, 2018
न जाने किसकी नजर लगी
मेरी खुशियों को
न जाने किस की
नजर लगी
सह न पाए लोग
मैं जब हंसी |
रोने पर तो बहुत
तसल्लियाँ मिलीं
पर सब सतही
बातों की दूकान लगीं |
खिल्ली उड़ाने से
खुदको रोका क्यूँ कि
दोनो हाथ बंधे हैं
संस्कारों से |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here:
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: