बहुत याद आओगे
गुलाब के फूल
जब भी खिलेंगे
तो बहुत याद आओगे
इतनी आसानी से
मुझे न भूल पाओगे
मैं कोई महक नहीं
जो वायु के संग बह जाऊं
हूँ तुम्हरे रंग में रंगी
खुशबू में सराबोर
है मेरा भी वजूद
कहीं खोया नहीं
पर तुम्हारे बिना
कोई मेरा नहीं
तुमसे ही महकेगी
बगिया मेरी
जब भी फूल खिलेंगे
तो याद आओगे |
आशा
बहुत सुन्दर शब्दों से यादों को ताज़ा किया ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दिगंबर जी टिप्पणी के लिए |
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सूचना हेतु आभार मीना जी |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार सर |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार सर |
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुभ्रा टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी |
हटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर सी कोमल सी रचना !
जवाब देंहटाएंवाह !बेहतरीन सृजन दी जी,
जवाब देंहटाएंमैं कोई महक़ नहीं जो झोंके संग हवा में समा जाऊँ....
सादर
धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
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