01 जनवरी, 2020

दुआ बद्दुआ



तुम्हारी हर  बद्दुआ
 मुझे दुआ सी लगे
क्यूँ कि हर  शब्द उसका
  तुम्हारे  लवों का स्पर्श पा
 बदलता  हैं  रूप अपना
अपनों  के दिल से  निकली बातें
 सभी  बद्दुआएं  नहीं होती  
अपना रंग दिखाती हैं 
अपनी सी  हो जाती हैं
 माँ  से मिली सभी  नसीहतें  
चाहे उस समय कटु लगें पर 
 हर  पग पर राह दिखाती हैं
जीवन सफल बनाती हैं
  अपनों के दिल से कभी
                     कटु वचन नहीं निकलते                 
उनमें कुछ भलाई
 कुछ शिक्षा निहित होती है
ज़रा  सोच कर देखो 
 यदि उन्हें मान दे पाओगे
हित तुम्हारा  ही होगा
कोई अपना ही  साथ निभाएगा
तुम्हारा अहित न चाहेगा
तुम्हारे सुख में सुखी होगा
दुःख के निदान की कोशिश करेगा |

आशा

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति
    आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

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    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. सुप्रभात
      नव वर्ष की शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद कविता जी|

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2.1.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3568 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  3. बहुत सुन्दर रचना ! सारगर्भित और सार्थक !

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  4. सुप्रभात
    मेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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  5. सुप्रभात
    धन्यवाद नीतीश जी टिप्पणी के लिए |

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. धन्यवाद शुभा जी टिप्पणी के लिए |

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  8. धन्यवाद टिप्पणी के लिए ज्योति जी |

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