है सियासत
की दुनिया चमक दमक की
बड़े बड़े प्रलोभन फैले यहाँ वहां
जिसने भी दूरी रखी इससे
बहुत बेचैनी हुई उसे
बहुत बेचैनी हुई उसे
मन ही मन दुख से हुआ संतप्त
क्या लाभ ऐसी दुनिया का
भीतर कुछ और बाहर कुछ हो
सत्य कहीं दुबका हुआ हो
सत्य कहीं दुबका हुआ हो
हर चहरे पर मुखौटा लगा हो
स्वयं की पहचान कहीं गुम हो जाए
है वहां एक बड़े दलदल का नजारा
जो पंक में घुसता गया लौट नहीं पाया
ऐसे क्या उपहार मिल गए
राजनीति की दौड़ में
राजनीति की दौड़ में
छोटे बड़े का लिहाज नहीं रहा यहाँ
शालीन वार्तालाप के लिए तरसे
शालीन वार्तालाप के लिए तरसे
दूरदर्शन पर भी बहस ऐसे दीखती है
मानो शेर अभी झपटेगा शिकार पर
दूसरा मैमने सा गिडगिडा रहा हो
बच्चे तक कहने लगते हैं
क्या इन में तमीज नहीं
क्या इन में तमीज नहीं
इनकी मम्मीं ने क्या
कुछ नहीं सिखाया इनको
कुछ नहीं सिखाया इनको
सियासत का गलियारा
काई से भरा हुआ है
काई से भरा हुआ है
जितना भी सम्हल कर चलो
पैर फिसल ही जाते हैं
पैर फिसल ही जाते हैं
गिरने पर सहारा दे कर
उठाने वाला कोई नहीं होता
उठाने वाला कोई नहीं होता
सियासत है कोठारी काजल की
कोई न बचा इससे
कोई न बचा इससे
जो भी भीतर गया
बच न पाया कालिख से |
आशा
बच न पाया कालिख से |
आशा
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-03-2020) को "नव संवत्सर-2077 की बधाई हो" (चर्चा अंक -3651) पर भी होगी।
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मित्रों!
आजकल ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत दस वर्षों से अपने चर्चा धर्म को निभा रहा है।
आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |नव वर्ष के लिए शुभकामनाएं |
हटाएंबहुत गहरी बात कहती हुयी रचना ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद नासवा जी |
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंघर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें।
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |आप भी सपरिवार पूरी सावधानी बरतिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |
कड़वा सच है यह ! सियासत वास्तव में काजल की कोठरी ही है ! जो इसके अन्दर गया बेदाग़ नहीं निकल पाता ! सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
३० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सूचना हेतु आभार श्वेता जी |
हटाएंवाह!कटु सत्य ...।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुबहा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंगहरी अभिव्यक्ति ,सादर नमन
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