01 अप्रैल, 2020

ख्याल



ख्याल क्यूँ सो गए स्वप्नों में क्यूँ हुए नाराज   
याद न आए कभी  अपनों की छाया तक  में
कभी भूले से मन में भी टिक जाया करो
इस तरह हमें न सताया करो
क्या भूल हुई हमसे ?
क्यूँ  इस तरह  नजरअंदाज किया
किसी ने न खबर ली हमारी  
जीवन में पहले ही से गम कम  न थे
क्या कारण हुआ और उन्हें बढ़ा चढ़ा  फैलाने  का
रोने को बाक़ी   जिन्दगी बहुत  है
कुछ पल तो दिए होते हंसने  मुस्कुराने को
ख्यालों क्या यह गलत नहीं है
मुझसे मेरा सुख क्यूँ छीन लिया तुमने  
मुझ से यह दूरी कैसी कारण तो बताया  होता
किस बात के लिए की  है उपेक्षा मेरी
यदि  अपनी त्रुटि जान पाती
 कोई  अपेक्षा न करती तुमसे भी  
 अपने गलत सोच को दर किनारे करती
 तुम्हें उलाहना  कभी न देती
मुझे ख्यालों में दिन रात जीना बहुत प्रिय है
 तुम कैसे भूले? क्या है यह अन्याय नहीं
तुमने स्वप्नों में भी  आना छोड़ दिया
मेरे प्यार का क्या  अंजाम  दिया |

                                 आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (02-04-2020) को   "पूरी दुनिया में कोरोना"   (चर्चा अंक - 3659)    पर भी होगी। 
     -- 
    मित्रों!
    कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं भी नहीं हो रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत दस वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. सुन्दर सी कोमल रचना ! बहुत खूब !

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