27 मई, 2020

शलभ



ढलने लगी  शाम
धुंधलका बढ़ने लगा
रात्रि ने किया आगाज
शमा जली महफिल में
 रौशन समा होने लगा
 वायु बेग से लौ उलझी
 हिलाने डुलने लगी
शमा में आया निखार
अनोखा रंग जमा महफिल में
मौसम खुशरंग हुआ
चंचल चित्त शलभ तभी  
हुए आकृष्ट शमा की ओर
गाते गुनगुनाते
 खिचे चले आए
उस ओर जहां थी रौशनी
उन्हें भय नहीं था
निकट जाने का
पहले पंख जले उनके
फिर भी न हटे वहां से
पूरे जोश से फिर से उड़े
पहले लड़खड़ाए फिर सम्हले
अब इतने करीब आए
  कि जान ही भेट चढ़ा  बैठे
 रहा संतोष उन्हे इस बात का
कि शमा का साथ पा लिया
प्रेम प्रदर्शन किया  
पल भर को ही सही
शमा रात भर जलती रही
रौशन किया महफिल को
परहित के लिए
पर  शलभ हुए उत्सर्ग
शमा का साथ पाने के लिए
अपना प्रेम शमा के लिए
 सब को दर्शाने के लिए |
आशा  
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6 टिप्‍पणियां:

  1. शमा और शलभ को लेकर रची गयी सुन्दर रचना।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3715 में दिया जाएगा
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  3. वाह ! बहुत सुन्दर सृजन !

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  4. वाह !बहुत सुंदर सृजन आदरणीया दीदी जी.
    सादर प्रणाम

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  5. धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |

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