कहाँ कहाँ खोजूं तुम्हें
यह कैसी शरारत है
क्या कोई काम नहीं मुझको
केवल तुम्हें ही खोजना है |
कितनी बार समझाया है
मुझे यूँ न सताया करो
मेरा समय बरबाद न करो
पर तुम सुनते ही नहीं हो |
यह कौनसा तरीका है खेलने का
यदि भूले से पैर फिसला
चोट लगी तो क्या होगा
आगे पीछे की सोच को उड़ान दो |
सम्हल जाओ पढाई पर ध्यान दो
समय हाथ से फिसल गया यदि
बापिस लौट के न आएगा
तुम यहीं रह जाओगे
आज की दुनिया से बहुत पीछे |
आशा
उत्तम गवेषणा।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 15 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंThanks for the post information
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 16-10-2020) को "न मैं चुप हूँ न गाता हूँ" (चर्चा अंक-3856) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
आभार सहित धन्यवाद मीना जी |
हटाएंसार्थक सृजन ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेख आदरणीय |
जवाब देंहटाएंMuhavare aur Lokoktiyan Hindi Vyakaran Notes In Hindi
बेहतरीन रचना
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