फिर न कहना कि
मुझे तुमसे प्यार नहीं है
झूठे वादे किस्से कहानी
मुझे स्वीकार नहीं हैं|
मन का कहा ही मैंने
स्वीकार किया है यह किसी की
जोर जबरदस्ती नहीं है
कहने सुनने को कुछ भी नहीं है |
प्यार एक ऐसी भावना है
जो किसी के कहने से नहीं होता
अपने आप जन्म लेता है
जब मन से नहीं उपजता
जाने कहाँ गुम हो जाता है |
कभी सोच कर देखना
यह किसी से जबरन नहीं किया जाता
कभी आकर्षण प्यार के धोखे में
मात्र एक एहसास ही हो कर रह जाता |
यह कोई छलावा नहीं है
सच्चे दिल से उपजा भाव है
पल पल में बदला नहीं जाता
यह कोई वस्तु नहीं जिसे जो चाहे चुराले |
है यह मन की गहराई से उपजा
चाहे इसे कोई नाम दिया जाए
बस प्यार तो प्यार है
किसी नाम का मोहताज नहीं है |
आशा
सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंDhnyvaad
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार सर |
बदतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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