14 अक्तूबर, 2020

प्यार किसे कहें


 

फिर न कहना कि

 मुझे तुमसे प्यार नहीं है

झूठे वादे किस्से कहानी

 मुझे स्वीकार नहीं हैं|

मन का कहा ही  मैंने

 स्वीकार किया है यह किसी की

 जोर जबरदस्ती नहीं है

कहने सुनने को कुछ भी नहीं है |

प्यार एक ऐसी  भावना है

जो किसी के कहने से नहीं होता

अपने आप  जन्म लेता है

जब मन से नहीं उपजता

 जाने कहाँ  गुम हो जाता है |

कभी सोच कर देखना

यह किसी से जबरन नहीं किया जाता

कभी आकर्षण प्यार के धोखे में

मात्र एक एहसास ही हो कर  रह जाता |

यह कोई छलावा नहीं है

सच्चे दिल से उपजा भाव है

पल पल में बदला नहीं जाता

यह कोई वस्तु नहीं जिसे जो चाहे चुराले |

है यह मन की गहराई से उपजा

चाहे इसे कोई नाम दिया जाए

बस प्यार तो प्यार है

किसी नाम का मोहताज नहीं है |

आशा

 

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए आभार सर |

      हटाएं
  2. प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ! सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं

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