04 दिसंबर, 2020

क्षुधा तुम्हारी

 

 


                                       क्षुधा  तुम्हारी है असीम

कभी समाप्त नहीं होती

है ऐसा क्या उसमें विशेष

जिसे देख कर तृप्त नहीं होते |

इस प्यास का कोई तो उपचार होगा

कोई  डाक्टर तो होगा 

  जो उसकी जड़ तक पहुंचे  उसे समझ पाए

सही उपचार करके उसे  विदा कर सके |

 कभी न देखे ऐसे मरीज और उपचारक

सामने बीमार खड़ा हो और उपचार में सहयोग न दे

क्या सोचें  ऐसे बीमारों पर जिसके निदान की

 कितनी भी  हो आवश्यकता पर हल न हो

दिल का सुकून भी साथ ले जाए |

आशा

 

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 04 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  3. वाह ! बहुत खूब ! सुन्दर रचना !

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