क्षुधा तुम्हारी है असीम
कभी समाप्त नहीं होती
है ऐसा क्या उसमें विशेष
जिसे देख कर तृप्त नहीं होते |
इस प्यास का कोई तो उपचार होगा
कोई डाक्टर तो होगा
जो उसकी जड़ तक पहुंचे उसे समझ पाए
सही उपचार करके उसे विदा कर सके |
कभी न देखे ऐसे मरीज और उपचारक
सामने बीमार खड़ा हो और उपचार में सहयोग न दे
क्या सोचें ऐसे बीमारों पर जिसके निदान की
कितनी भी हो आवश्यकता पर हल न हो
दिल का सुकून भी साथ ले जाए |
आशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 04 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |
सुन्दर और सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंप्रभावशाली लेखन।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |
वाह ! बहुत खूब ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर
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