15 फ़रवरी, 2021

पेम प्रीत स्नेह प्रणय भक्ति

 


प्रेम,प्रीत प्यार भक्ति स्नेह  केअर्थों में

  थोड़ा ही अंतर होता है वह भी जिस ढंग से

प्रयोग किये जाएं कैसे सही प्रयोग हो

किस के लिए उपयोग में आएं |

मन में उठती  आकर्षण की  भावनाएं

मोहताज नहीं होतीं किसी संबोधन की 

हर शब्द है अनमोल

 


उन्हें व्यक्त करने के लिए |

प्रीत  प्रेम होते  निहित भक्ति में

अवमूल्यंन उसका नहीं किया जाता

स्नेह है शब्द बहुत सीधा सरल

बडे छोटे सभी के लिए उपयोग में आता |

इसमें आसक्ति की भावना नहीं होती

प्रियतम प्रिया आसक्ति दर्शाते अपनों में

सामान उम्र के लोगों   को प्रिय होते

पर हर रिश्ते के लिए नहीं |
एक ही शब्द भावात्मकता दर्शाता

 जिसकी है जैसी नजर वही उसे वैसा नजर आता  

प्रणय प्रीत की भावना होती केवल अपनों के लिए

गैरों के लिए किये उपयोग गलत मनोंव्रत्ति दरशाते |

आशा

15 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-2-21) को "माता का करता हूँ वन्दन"(चर्चा अंक-3979) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. आभार सहित धन्यवाद कामिनी जी मेरी पोस्ट की सूचना के लिए |

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  2. वाह वाह ! बहुत सटीक व्याख्या की है हर शब्द की ! हर शब्द हर किसीके लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता ! सार्थक सृजन !

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  3. उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. धन्यवाद सधु जी टिप्पणी के लिए |

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  4. शब्दों के अंतर को स्पष्ट समझना बहुत ज़रूरी है ... स्पष्ट बात रक्खी है रचना में ...

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  5. धन्यवाद नासवा जी टिप्पणी के लिए |

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  6. बिल्कुल सही । भले ही पर्यायवाची हों शब्द लेकिन उपयोग करते हुए अंतर स्पष्ट हो जाता है ।सटीक प्रस्तुति ।

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