16 फ़रवरी, 2021

क्षणिका

 


                                                            है शक्ति तुम्हारी राधा  रानी 
                                                            भक्ति रूप में मीरा पहचानी 

   शेष  हुए    अनुयाई तुम्हारे

 क्या कोई रिक्त स्थान नहीं 

  बचा है हमारे लिए |

२-प्रतिभा की कोई कद्र नहीं 

अकुशल सर पर नाच रहे 

है यह कैसा न्याय प्रभू 

तुम हमें क्यूँ नकार रहे |

३-तुम्हारे दर पर खड़ा याचक

चाहता वरद हस्त तुम्हारा 

,कोई कितनी भी आलोचना करे 

पर तुम न बदल जाना |

४-बासंती पवन चली चहुओर  

खेतों  में और खलियानों में

वासंती पुष्पों ने घेरा सारे परिसर  को 

मन हुआ अनंग किया विचरण बागों में |

आशा  

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज मंगलवार 16 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सृजन, बसंत के निःश्वासों से गुथी रचना मुग्ध करती है।

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: