आया वसंत आई बहार
वृक्षों ने किया नवश्रृंगार हरे भरे पत्तों से
वे खेले वासंती पवन के झोंकों से
हुई धरा सराबोर रंग वासंती में
खेतों में पीले सफेद पुष्प खिले
हरियाली छाई धरणी पर
वृक्षों ने ली है अंगडाई उन पर छाई तरुणाई|
बसंती रंग के परिधानों से सजे बालक वृन्द
गृहणी ने भी पहने पीत वसन
की मां सरस्वती के पूजन की तैयारी |
कहीं बच्चों का पट्टी पूजन हुआ
किये वादे विध्या की देवी के समक्ष
पढ़ने में कमी न करने के लिए |
कई युगल बंधे विवाह बंधन में
कच्चे धागे से बंधे सदा के लिए
जन्म जन्म का साथ निभाने को
वचन बद्ध हुए साथ जीने मरने के लिए |
यह दिन है ही ऐसा प्रसन्नता से भरा
शंकर से रति ने पति काम देव के लिए
पूजन अर्चन कर प्रार्थना की थी
तभी से नाम कामदेव का हुआ अनंग |
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-02-2021) को "बज उठी वीणा मधुर" (चर्चा अंक-3980) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार सर मेरी कविता को शामिल करने के लिए |
हटाएंबहुत बढ़िया ! ज्ञानवर्धक रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |
हटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंधन्यवाद आलोक जी |
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