१-कोई नहीं अपेक्षा तुम से
साथ कभी ना छूटे उससे
समय नहीं हो पाया जिसका
कोई सार न निकला उसका |
२- उसे अपनी बाहों में छिपाया
अपना प्यार उसपे लुटाया
तुमसे बड़ा रखे वो लगाव
कभी न हो उससे अलगाव |
३-प्यार की दरकार नहीं मुझे
हमें कभी कोई करे ना प्यार
हम तो खुद से करते प्यार
मिलावट नहीं स्वीकार मुझे |
4- धुआँ सा फैला व्योम में
नक़ल किसी की करता
अपनी आँखों में जल भर के
धरती को नम करता |
आशा
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वाह ! बहुत सुन्दर मुक्तक !
जवाब देंहटाएंबहत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
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