20 जुलाई, 2021

बंधन समाज का


 


पहली बार देखा

आकृष्ट हुआ 

जब भी  देखा उसे 

किये इशारे

 चिलमन की  ओट 

देखी  झलक

 छू न पाया उसको 

तब भी मेरे  

मन में फूल खिले

एहसास  हुआ

मोहक  सरूप का

   भा गईऎसी 

 दिल  में समा गई  

मजबूती से

थाम लिया दामन

कहीं छूटे ना

 अनोखा एहसास

जागा विश्वास 

नए रिश्ते  का भान

 मन में जागा 

छूने का मन हुआ

प्यार से उसे

भर लिया बाहों में

बंधन बांधा

मोहर समाज ने

लगाई जब

भय न रहा उसे 

किसी ने टोका नहीं

बढ़ा साहस  

अवगुंठन  हटा

देखा उसको 

अन्तस् में बसाया 

प्यार जताया |

आशा 
















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8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-07-2021को चर्चा – 4,133 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  2. वाह वाह ! श्रृंगार रस में डूबी सुन्दर प्रस्तुति ! बहुत बढ़िया !

    जवाब देंहटाएं

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