19 जुलाई, 2021

जब स्वप्न हुआ साकार


                                                          चला था  खोज में  जोश से भरा

कुछ कर गुजरने की  चाह  में  

अखवार के  पन्नों  की सुर्ख़ियों में

रहने का स्वप्न सजाए  मन में |

सर्द हवाओं से  उत्साह ठंडा हुआ

पर हार न मानी उसने

गर्म चाय ने ऊर्जा प्रदान की थोड़ी

दुगुना जोश बढ़ाया पैरों ने गति पकड़ी |

 जैसे ही  पहुंचा पास  लक्ष्य के  

मन का उत्साह चौगुना हुआ

अपनी सफलता को समीप  पाया

हाथ बढ़ा उसे छूना चाहा |

प्रयत्न की सफलता ने जितनी खुशी दी

  वह बाँट न पाया अपनों से

क्यों कि था  वह दूर बहुत उनसे

उसने  दूर भाष पर सांझा किया |

 राह पकड़ी फिर  अपनों से मिलने के लिए

राह में जब  देखा अखवार

खुद को पहले पन्ने पर देख 

                              दिल बल्लियों उछला स्वप्न साकार होता देख |

                                               आशा 

दिल बल्लियों उछला स्वप्न साकार होता देख |

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