कोई कब तक सहेगा
तुम्हारा अनर्गल प्रलाप
पहले सोच विचार करो
फिर किसी पर वार करो |
यदि होंगे वार तुम्हारे खोखले
कोई प्रभाव नहीं छोड़ेंगे
पर वार बजनदार किसी की
जान लेकर ही दम लेंगे |
हथियार से वार समय रहते ही
ठीक किये जा सकते हैं
शब्दबाण देते घाव ऐसे
ताजिन्दगी भुलाए नहीं जा सकते |
ऐसे शब्दों के बाण सीधे
दिल को आहत करते हैं
कभी कोई दवा काम नहीं करती
ताउम्र खलिश बनी रहती |
स्वभाव तुम्हारे की यही कमी
बन जाती प्रगति की हथकड़ी
तुम जमाने से बहुत पीछे रह जाते
फिर अपने भाग्य को दोष देते |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सर | |
सत्य है ! अपने कटु व्यवहार का दुष्परिणाम भी व्यक्ति को खुद ही भुगतना पड़ता है ! सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |