१-कहना नहीं
कुछ करना चाहे
इस काल में
जीवन भार
अब सहा न जाए
मैं क्या करूं
३-तेरी निगाहें
तरकश का बाण
घायल करे
४-चपल हुई
जब भी मुस्कुराई
कितना रोकूँ
५- कहना है क्या
उसको कहने दो
उदास न हो
६-छोड़ा दामन
बेघर होने लगा
किस के लिए
७-कविता लिखी
मन का भार छटा
प्रफुल्ल हुआ
८-मन क्या है
जब समझ लिया
सोच के देखा
९-प्यार किसी का
भार नहीं मन का
जियो खुशी से
१०-मित्र दिवस
मनाया है फिर भी
मीत न मिला
११-स्वप्न दिखा है
दिल बैठ रहा है
होगा जाने क्या
आशा
झ छटा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
सुंदर हाइकु....
जवाब देंहटाएंThanks for the comments
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार मीना जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए |
कविता लिखी
जवाब देंहटाएंमन का भार छटा
प्रफुल्ल हुआ
बिल्कुल सही कहा आपने मैम
सुंदर हाइकु
धन्यवाद.
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंTha n ks
हटाएंसुन्दर हाइकु
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हायकु।
जवाब देंहटाएंThanks op
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुन्दर हाइकु !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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