१-आसामान से
काले भूरे बदरा
बरस रहे
टकराते बादल
ही आपस में
टकराए व्योम में
भय किससे
बिजली है कड़की
बरसे ओले
बाँसुरी वाले कान्हां
बंसी बजैया
मन मोह रहा है
मन मोहन
तुम मन मोहन
मीरा है भक्ति
भक्त हो माधव के
नमन तुम्हे
९-झूला झूलते
आया भादौ मास है
गया सावन
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंबहुत सुंदर और सामयिक हाइकु।
जवाब देंहटाएंवाह ! सुन्दर हाइकु !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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