01 सितंबर, 2021

किसने कहा किताबें बोलती नहीं


 

किसने कहा कि

मौन रहती  हैं किताबें 

वे भी  मुखर होती  हैं 

अपना मन खोलती हैं  |

पर सब के समक्ष नहीं

 कद्र जो जानते हैं

उन्हें  पहचानते हैं

पढ़ते गुनते हैं |

उन्हीं से रिश्ता रखती है

जो उन्हें  मान देते हैं

 बड़ा सम्मान देते हैं 

अपने दिल से लगा कर रखते हैं |

 जब कोई अति करता

 किताबी कीड़ा कहलाता  है

पर लिखना पढ़ना 

अकारथ नहीं जाता 

पुस्तकों के लगाव से

जीवन भर बुद्धि विकास  करतीं  

शिक्षा देती हैं पुस्तकें |

आशा 

11 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य है किताबों से बढ़ कर कोई हितैषी नहीं !

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  2. किसने कहा कि

    मौन रहती हैं किताबें

    वे भी मुखर होती हैं

    अपना मन खोलती हैं |
    बहुत सही👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद उषा किरण जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  3. पुस्तकों की मुखरता,मौन होती है,केवल इन्हें पढ़ने वाले इसका अनुभव करते हैं।

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