किसने कहा कि
मौन रहती हैं किताबें
वे भी मुखर होती हैं
अपना मन खोलती हैं |
पर सब के समक्ष नहीं
कद्र जो जानते हैं
उन्हें पहचानते हैं
पढ़ते गुनते हैं |
उन्हीं से रिश्ता रखती
है
जो उन्हें मान देते हैं
बड़ा सम्मान देते हैं
अपने दिल से लगा कर रखते हैं |
जब कोई अति करता
किताबी कीड़ा कहलाता है
पर लिखना पढ़ना
अकारथ नहीं जाता
पुस्तकों के लगाव से
जीवन भर बुद्धि विकास करतीं
शिक्षा देती हैं
पुस्तकें |
आशा
बहुत बहुत सराहनीय
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंThanks for the information of the post
जवाब देंहटाएंसत्य है किताबों से बढ़ कर कोई हितैषी नहीं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
Thanks for the comment
जवाब देंहटाएंकिसने कहा कि
जवाब देंहटाएंमौन रहती हैं किताबें
वे भी मुखर होती हैं
अपना मन खोलती हैं |
बहुत सही👌
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद उषा किरण जी टिप्पणी के लिए |
पुस्तकों की मुखरता,मौन होती है,केवल इन्हें पढ़ने वाले इसका अनुभव करते हैं।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंकल्पना मुळे
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