बादलों के बीच
बीच से झाँक रहा
यह कैसी शरारत है
या तेरी आदत है |
२-तेरे मेरे बीच है
एक दीवार समाज की
जो मिलने नहीं देती
और दूरी बनी रहती |
३-दुनिया का क्या वजूद
जब हम न होगे
हमारी जगह कोई न ले सकेगा
तुम्हारा घर घर न होगा
चारो ओर वीरानगी का मंजर होगा
सब स्नेह को तरसेंगे |
४- किसने कहा तुम पूजा करों
जब मन में कोई श्रद्धा नहीं
क्या जरूरत पत्थर पूजने की
जब कभी याद आती ही नहीं |
आशा
सुन्दर क्षणिका !
जवाब देंहटाएंवाह ! भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति !
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