22 अक्तूबर, 2021

क्षणिकाएं


बादलों के बीच
 बीच से झाँक रहा
 यह कैसी शरारत है
 या तेरी आदत है | 

 २-तेरे मेरे बीच है
 एक दीवार समाज की
 जो मिलने नहीं देती 
 और दूरी बनी रहती | 

 ३-दुनिया का क्या वजूद
 जब हम न होगे
 हमारी जगह कोई न ले सकेगा
 तुम्हारा घर घर न होगा
 चारो ओर वीरानगी का मंजर होगा 
 सब स्नेह को तरसेंगे |

 ४- किसने कहा तुम पूजा करों 
 जब मन में कोई श्रद्धा  नहीं
 क्या जरूरत पत्थर पूजने की 
 जब कभी याद आती ही नहीं | 
आशा

2 टिप्‍पणियां:

Your reply here: