जाने कितने गीत लिखे 
बिखरे बिखरे  शब्दों में 
कोई विधा खोज न पाया 
अभिव्यक्ति के लिए |
बहुत अच्छा लगा 
जब किसी ने कहा
वाह क्या गीत है मन मोह लिया 
गीत या संगीत दौनों में से कौन 
आज तक समझ न पाया |
कोशिश झूटी लगी जानने की 
जरूरत क्या है पहचानने की 
काम चल ही जाता है 
और अधिक की चाह नहीं है |
प्यार से जो मन में आया 
वही लिखा  कुछ और नहीं
हर शब्द से जज्बात जुड़े है 
कोई बंधन नहीं लिखने के लिए |
स्वतंत्र लेखन भी एक विधा हो जाती 
अभिव्यक्ति सफल हो जाती 
जब दिल की जरूरत पूर्ण होती 
खुश रहने के लिए |
वही सफल लेखक कहलाता 
जो अर्थ स्पष्ट कर पाता
अपने लेखन का 
उद्देश्य सफल हो जाता लिखने का |
आशा

सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment aalok
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |