है
वही
प्यार की
डोरी कच्ची
पर न टूटे
जरा झटके से
मजबूत दिल से है
बनी कच्चे सूत से है
पर मजबूर नहीं है |
मैं
घटा
हूँ काली
नापती हूँ
समस्त व्योम
चाँद तारों संग
लुका छिपी खेलती
हर बार मात देती हूँ
उन्हें जिन्हें मैं प्रिय नहीं |
है
तेरी
सुन्दर
छवि वही
मुझ में बसी
दूर न मुझ से
ना मैं करना चाहूँ
सबसे प्यारी वह मुझे |
हूँ
स्वप्न
तेरा मैं
ख्याल नहीं
हकीकत हूँ
कल्पना नहीं हूँ
सपना सच न हो
यह हो नहीं सकता
मन का विश्वास हूँ मैं |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर, सार्थक रचना !........
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Thanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंबढ़िया वर्ण पिरेमिड ! सुन्दर !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna
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