22 मार्च, 2022

कविता



मन के भाव

जब पिरोए जाते

एक माला में

 सजाए जाते वाक्यों में |

दिलसे सुनाए जाते

लयबद्ध किये जाते

 दिखाई देते

दिल में छुपी

छवियों के रूप में

यही है कविता का

 असली रूप |

 जब भी कोई कविता करता

                      अपने अलग अंदाज में

मन बड़ा प्रसन्न होता

रोते को हंसा देता

जीवन में रंग भरता |

आशा 




12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-03-2022) को चर्चा मंच     "कवि कुछ ऐसा करिये गान"  (चर्चा-अंक 4378)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. शास्त्री जी आभार आप का मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए

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  2. वाह ! बहुत सुन्दर ! यही होती है कविता !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  3. धन्यवाद उषा जी टिप्पणी के किये |

    जवाब देंहटाएं

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