पहले कहा जाता था
हो परिवार  भरा पूरा 
फिर कहा जाने लगा
हम दो हमारे दो |
 कभी किसीने न जाना 
है महत्व इसका  क्या 
अब मनने  लगा 
विश्व परिवार दिवस | 
जब अति जनसंख्या की हुई
और सीमित संसाधन हुए
घबराए लोग जन संख्या बढ़ने से
वही विचार मन में आया 
सीमित परिवार सुखी संपन्न  |
यह बात बारम्बार  दोहराई जाती 
हो परिवार भरा पूरा 
कभी यह बात कही जाती 
छोटा परिवार ही सबसे अच्छा
|
वह परिवार है सबसे अच्छा
बड़ा परिवार हो या सीमित
 जहां तालमेल हो आपस में 
घर में खुशहाली हो 
हों सभी एक मत विचारों में |
वह घर  स्वर्ग हो जाता
जहां  परिवार की बेल फले फूले 
परिवार दिवस मनाना न पड़ता 
सामंजस्य जब होता घर में |
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.5.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4435 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
आभार दिलबाग जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
हटाएंसार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंसाहित्यिक परिवार में ढूँढ़ रहे हैं खुशियाँ
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेखन
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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