१-मैंने तो सच कहा है 
लागलपेट उसमें ना कोई 
इस पर भी यदि बुरा मानो 
सोच लेंगे कुछ हुआ ही नहीं|
२-तुम हो हो धीर गंभीर जलधि
जैसे 
वह है चचल चपल बिजुरिसा सी
 बेमेल मिलन हुआ कैसे 
वह सोच न पाई गंभीरता से |
किसी भी  पुस्तक में 
नहीं  लिखा है  ये है भिन्न भिन्न 
 अलग नहीं सब एक हैं दुनिया के तारक 
 जगत  के
पालनहार प्रकृती के संचालक |
४-, पर्यावरण आसपास का और हरियाली
नदी समुन्दर चाँद सितारे वायु धरा
 सूर्य देव के बिना हैं असम्भव 
अन्य गृह सौर मंडल के लगते आकर्षक दूर से
|ख्याली पुलाव बनाने से क्या फाय्दा
                      यदि सच में उसे बनाया होता
तब और बात होती 
जिन्दगी तो तनिक ठहर भी  जाती पर 
तुम तारीफ की हकदार होतीं |
आशा
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सुन्दर क्षणिकाएं !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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