हे वीणा वादिनी स्वर की देवी
मधुर तुम्हारी वीणा का स्वर
सुनकर पहुंची तुम्हारे दर पर
पाँव पकड़ वंदन किया |
मुझे मालूम है तुम हो ज्ञान की देवी
थोड़ा ज्ञान मुझे भी दे दो
इतना उपकार करो मुझ पर
मेरा बेड़ा पार लगादो |
करो भव सागर के पार
मैंने पूजा की है मनसे
बस एक वर ही माँगा तुमसे
हो तुम विद्द्या की देवी ज्ञान
दो |
अज्ञान से दूरी हो
मेरी
यही चाह है मेरी
मेरा बेड़ा पार करो
बीच भवर में नैया मेरी
किसी का संबल नहीं मुझको |
जब बेड़ा होगा पार मेरा
नैया पहुंचेगी उस पार
होगा जय जय कार तुम्हारा
करो उपकार यही मेरा |
सुन्दर प्रार्थना ! माँँ शारदे की कृपा अवश्य ही होगी !
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