04 अक्तूबर, 2022

गली गली में रावण रहते


                                                      

                                                                    जाने कितने रावण 

गली गली में घूंम रहे 

इनका कोई अंत नहीं 

 हुआ अब  तक |

सडकों पर घूमने वाले 

रावण में कोई सुधार नहीं

 हुआ अब  तक 

सब को हैरानी होती है |

हर वर्ष जलाया जाता उस को 

 फिर से  जी उठता है

शायद गया श्राद्ध  

न किया गया हो उसका | 
हर  बार जी उठता है 

कलियुग का आभास कराता है 

कहीं शांति नहीं हो पाती यहाँ वहां 

 और भ्रष्टाचार की कमीं नहीं |

हम भी उसी गली में रहते 

पर दूरी बनाए रखते 

 किसी से नहीं मिलते जुलते 

किसी का अन्धानुकरण नहीं करते |

अपने आप में  व्यस्त रहते 

जाने कब छुटकारा मिलेगा 

इस कलियुग के प्रपंचों से 

मुक्ति होगी या नहीं 

किसको पता |

आशा सक्सेना 


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