है वैविध्य लिए कायनात
पग पग में कुछ नया लिए
ईश्वर ने रचा यह संसार
अद्भुद है किसी से समानता नहीं |
पर एक विशेषता सब में है
आपस में है ताल मेल इतना
सभी यहाँ मिलजुल कर रहते
बैमिनस्य से दूर रह कर |
|जब भी तकरार किसी में होती
कोई मध्यस्त रहता सुलह के लिए
बीच बचाव के किये यही क्या कम है
जब भी एक हो जाते चहकते रहते उम्र भर |
सब एक दूसते पर होते आश्रित
यह दूसरी विशेषता है सब में
यह संसार यूँ ही चलता रहता
ईश्वर के आश्रय में सक्रीय्रा रहता |
कोई कायनात ऎसी न देखी होगी जहां
आभा धरती पर बिखरी होती चारों ओर
चन्दा और तारों की चमकीली ओढनी
रात में लिपटी होती चारों ओर से ||
और सुबह आदित्य ने ऊर्जा से गोद भरी
धरा हरी भरी दीखती सजीव हर कौने से
सुन्दरता उसके जैसी कहीं नहीं होती
यही है करिश्मा इस कायनात का |
आशा सक्सेना
वाह वाह ! कुदरत का यह करिश्मा तो सच में लाजवाब है ! बहुत बढ़िया रचना !
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