किसी का विश्वास न तोड़ा करो
तुम पर पूरा विश्वास किया सबने
केवल तुम पर उसकी आशा टिकी है
मन को न निराश करो उसके |
कभी कारण भी पूंछ लिया करो
उदासी का सबब उसका
यूँ न अकारण उलझा करो सबसे
यह तुम्हें शोभा नहीं देता |
जब समस्या हल हो जाएगी
वह खुद ही शांत हो जाएगी
उलझनों को नजर अन्दाज करेगी
जीवन को जीने लायक रहने देगी |
किसी की बदसलूकी को मन पे ना लेना
कच्ची उम्र का खेल है समझ लेना
है वह नादान सोच उसे क्षमा कर देना
क्षमा कर तुम छोटे न हो जाओगे |
बड़ा मन रखोगे सदा वर्चस्व रखोगे
जीवन भर किसी से नहीं दबोगे
अपने मन पर बोझ न होगा तुम्हारे
यही बात प्रभु भी देखता है |
जो आस्था रखता पूरी शिद्दत से
उसे किसी से डरने की क्या आवश्यकता
उसने किसी का बुरा न चाहा
नही कोई अवमानना की किसी की |
आशा सक्सेना
क्षमा बड़न को चाहिए छोटन के उत्पात ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद तुम्हारा साधना टिप्पणी के लिए |
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