जाने क्यों आज सुबह से ही गली में चहलपहल थी |बड़ी जल्दी सब लड़के लड़कियां सज गए थे |कहाँ तो माँ जगा जगा कर थक जाती थीं पर यही कह कर सो जाते थे अभी थोड़ा और सो लूं |
फिर से चादर ओढ़ कर सो जाते |पर आज उसने अलमारी खोली और ऊपर से लाल गुलाब के फूल की एक डाली
निकाली उसे सम्हाल कर अपने नेपकिन में छिपाया और गेट पर आ गया |उसने आवाज दी
निन्नी को और बाहर आगया |
निन्नी तो इन्तजार ही कर रही थी |वह चटपट बाहर आईऔर बाउंड्री के बाहर हाथ से गुलाब
लिया |
और धीमी आवाज में सुना “ हैप्पी वेलेंटाइन डे |क्या तुम मेरी वेलेंटाइन बनोगी”
|
निन्नी ने शर्मा कर अपना मुंह हाथ से छिपा लिया |यह सब नजारा रज्जू की माँ दूसरी
खिड़की से देख रहीं थीं| रज्जू ने जब मां को देखा वह जल्दी से सड़क पर निकल गया |
आशा सक्सेना
प्यारा प्रसंग !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पानी के लिए |
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