एक सिक्के के दो पहलू हैं
दोनो बहुत कुछ बोलते है
कहने को बड़े सजग हैं
अपने शब्दों को तोलते हैं |
यदि जानना चाहते हो कारण
किसी से उलझने का या
कोई उलझा हो अपने आप में
सिक्का उछालते है |
चित है या पट मन में सोच लेते हैं
मन में विचार कर उत्तर भी जान पाते हैं
कितने ही लोग इसे सत्य मानते हैं
चित पट के विश्वास पर भरोसा करते हैं|
पहले मैंने सोचा इसको भरम समझूं या नहीं
फिर सोचा शायद मै गलत हूँ पर कैसे
मन को विश्वास आए कैसे
यही सच कैसे उजागर हो |
इसी सच को खोज पाऊँगी या नहीं
जब उसके पास पहुंच पाऊँगी
अपने को सफल पाऊँगी
बहुत खुश हो जाऊंगी |
सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवादटिप्पणी के लिए साधना |
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