तारों भरी रात में
चांदनी के साथ में
बड़ी सुहानी लगती
नभ की आभा |
चाँद पूरा दीखता
आसपास उसके
अनोखी आभा दिखती
मन लुभाए रहती |
जीवन में रंग भरती मेरे
अनेकों रंग नजर आते
नीलाम्बर में
सब को रिझाते |
यही दृश्य मुझे मोहते
घंटों बैठी रहती छत पर
तुम्हारी वाट जोहती
बड़ी उत्सुकता से |
तुम्हारी यही आदत
अच्छी नहीं लगती
कितनी राह देखूं
मन को समझाती हूँ |
आशा सक्सेना
चांदनी रात का सुंदर अवलोकन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जिज्ञासा जी टिप्पणी के किये |
हटाएंआभार दिग्विजय जी मेरी रचना को पांच लिंकों के आनन्द में स्थान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुन्दर चित्रण चाँदनी रात का !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंनभ की आभा का सुन्दर चित्रण !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मधु जी टिप्पणी के लिए |
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