20 मार्च, 2023

था इन्तजार तुम्हारा

 





                                                          था  इंतज़ार  दुनिया में  बेसब्री से

वह  आए जब पहली बार झुले में

थाली बजी ढोल बजे इस अवसर पर

खुशियाँ मनाई सोहर गीत गाए सब ने |

घुटनों चले  उंगली पकड़ी  चलना सिखाया

गिरते पड़ते उठना सीखा

चार कदम चलना सीखा |

सबने बड़ी ख़ुशियाँ मनाई

पांच वर्ष में पट्टी पूजन करवाया

फिर शाला में भर्ती करवाया

जीवन की गाड़ी आगे बढ़ने लगी  |

माता पिता के अरमान थे अनगिनत 

 वे भी पूरे ना हो सके

 प्रार्थना भी नहीं सुनी प्रभु  ने  

उस पर दया दृष्टि भी ना  दिखाई |

क्या यही भाग्य में लिखा था

उसने  सब कार्यों को प्रभु के हाथ छोड़ा

अब ईश्वर का सहारा लिया

बड़ों  ने आशीष दिया आत्म बोध जाग्रत हुआ |

आया है  साहस खुद मैं हर  समस्या को झेलने का

 अब है इतना साहस उसमें भय  का कोई स्थान नहीं  

आत्मशक्ति जाग्रत हुई है नहीं चाह सहारे  की

अपने पैरों पर खड़ी हुई है आश्रित नहीं किसी की |

आशा सक्सेना 

2 टिप्‍पणियां:

  1. चंद पक्तियों में नारी की सम्पूर्ण जीवन यात्रा का सुन्दर चित्रण !

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