20 मार्च, 2023

चंचल चपल हिरणीजैसी


                                                                चंचल चपल हिरणी जैसी

उन्मुक्त घूमती वनमण्डल में

भय नहीं किसी का उसको

यही तो घर है उसका |

किसी की वर्जना नहीं सहती

रहती बंधन मुक्त होकर 

बिंदास बने रहना था अरमान उसका

किसी की बंदिश सहना

नहीं मंजूर उसे|

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है  

वह  सही राह पर चल रही

तब अपनी बात पर अड़ी रहती |

कभी पीछे पैर नहीं करती

चाहे कोई कितना भी रोके टोके

मन से एक बार सोचती

 फिर पलट कर नहीं देखती |

यही है आत्म विश्वास का चरम

उसका जगता उन्नयन

वह है दीन दुनिया से कोसों दूर

आज के माहोल में बिलकुल सही |

आशा सक्सेना 

10 टिप्‍पणियां:

  1. यही है आत्मविश्वास का चरम । प्रेरक और प्रभावी रचना।

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  2. आज की नारी आत्मविश्वास से भरी हुई है ! सबल है और आत्मनिर्भर भी !

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  3. वाह ! आज के माहौल में बिलकुल सही !

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    1. गुडी पडवा की शुभ कामनाए |धन्यवाद नूपुर जी

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  4. नव संवत्सर हम सब के लिए शुभ हो.

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